BSEB Bihar Board Class 11th Annual Exam 2025 Economics: बिहार बोर्ड कक्षा 11 वीं की वार्षिक परीक्षा आज से शुरू हो गई । इस पोस्ट माध्यम से आपको बिहार बोर्ड वार्षिक परीक्षा 2025 का अर्थशात्र की प्रश्न पत्र और औब्जैकटिव उतार आपको दिया गया हैं । आपलोग इस पोस्ट को ध्यान से पढे और अपनी सभी subject का उतर याद कर लीजिये पूरी सही उतर हैं । |
बिहार बोर्ड कक्षा 11वीं की वार्षिक परीक्षा के लिए कोई परीक्षा केंद्र जारी नहीं की गई हैं यह परीक्षा आपके स्कूल मे ही होगी । यह केवल एक जांच परीक्षा के स्तर पर परीक्षा होगी ।
Class 11th Economics Exam |
Annual Exam 2025 Timing |
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EXAM DATE |
21/03/2025 |
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SESSION |
2024-2026 |
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PAPER CODE |
Economics |
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SHIFT |
1st |
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TIME |
09:30 TO 1:00 |
कक्षा 11 वीं की वार्षिक परीक्षा के लिए कोई भी प्रवेश पत्र (Admit Card) जारी नहीं किया गया हैं । बिहार बोर्ड के द्वारा यह केवल जांच परीक्षा लिया जा रहा हैं।
कक्षा 11वीं की परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र बिहार बोर्ड क तरफ से आपके किताब से ही आएगा ।
कक्षा 11वीं की परीक्षा कॉपी आपके स्कूल के शिक्षक के द्वारा ही किया जाएगा ।
Q. No. |
Ans |
Q. No. |
Ans |
Q. No. |
Ans |
1 |
A |
36 |
B |
71 |
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2 |
D |
37 |
D |
72 |
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3 |
D |
38 |
A |
73 |
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4 |
D |
39 |
D |
74 |
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5 |
A |
40 |
B |
75 |
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6 |
D |
41 |
D |
76 |
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7 |
C |
42 |
D |
77 |
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8 |
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43 |
D |
78 |
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9 |
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44 |
C |
79 |
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10 |
C |
45 |
D |
80 |
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11 |
C |
46 |
C |
81 |
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12 |
B |
47 |
D |
82 |
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13 |
D |
48 |
A |
83 |
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14 |
B |
49 |
D |
84 |
|
15 |
D |
50 |
D |
85 |
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16 |
B |
51 |
D |
86 |
|
17 |
B |
52 |
A |
87 |
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18 |
B |
53 |
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88 |
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19 |
B |
54 |
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89 |
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20 |
A |
55 |
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90 |
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21 |
A |
56 |
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91 |
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22 |
D |
57 |
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92 |
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23 |
D |
58 |
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93 |
|
24. |
D |
59 |
|
94 |
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25 |
C |
60 |
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95 |
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26 |
B |
61 |
|
96 |
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27. |
D |
62 |
97 |
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28 |
C |
63 |
98 |
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29 |
C |
64 |
99 |
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30 |
B |
65 |
100 |
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31 |
B |
66 |
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32 |
A |
67 |
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33 |
C |
68 |
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34 |
D |
69 |
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35 |
D |
70 |
भारत के औपनिवेशिक शासन के दो प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
स्वतंत्रता के समय भारत में काम कर रहे चार प्रमुख आधुनिक उद्योगों के नाम निम्नलिखित हैं:
विक्रय अधिवेश (Sales Conference) एक प्रकार का सम्मेलन या बैठक होती है, जो आमतौर पर एक संगठन या कंपनी द्वारा आयोजित की जाती है। इसका उद्देश्य विक्रय टीम के साथ उत्पादों, बिक्री रणनीतियों, लक्ष्य, और कंपनी की नीति पर चर्चा करना होता है। इस अधिवेश में विक्रय उद्देश्यों को स्पष्ट किया जाता है और टीम को प्रेरित करने के लिए नए विचारों और योजनाओं पर बातचीत की जाती है।
हरित क्रांति (Green Revolution) एक कृषि सुधार आंदोलन था, जिसे 1960 के दशक में भारत में प्रारंभ किया गया। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ाना था, खासकर अनाजों की पैदावार में। इसमें उच्च उपज वाले बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों, और आधुनिक सिंचाई विधियों का उपयोग किया गया। हरित क्रांति ने भारत में खाद्य उत्पादन में वृद्धि की, जिससे देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिली। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी थे, जैसे पर्यावरणीय संकट और किसानों पर आर्थिक दबाव।
भारत में पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य देश की समग्र आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारना था। इसके तहत, विकासात्मक गतिविधियाँ और योजनाएँ 5 वर्षों के लिए तय की जाती थीं। पंचवर्षीय योजना के प्रमुख लक्ष्यों में से चार निम्नलिखित हैं:
भारत में आर्थिक सुधार 1991 में प्रारंभ किए गए थे, मुख्यतः निम्नलिखित कारणों से:
इन कारणों से भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाए, जैसे विनिवेश, निजीकरण, और उदारीकरण, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सके।
द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार दोनों ही देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियाँ हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ मुख्य अंतर हैं:
प्रशुल्क (Fees) विभिन्न कारणों से लगाए जाते हैं, और ये किसी विशेष सेवा या सुविधा के उपयोग के बदले में लिए जाते हैं। प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
रुपये का अनमूल्य (Currency Depreciation) से तात्पर्य उस स्थिति से है जब किसी देश की मुद्रा का मूल्य अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले घट जाता है। इसका मतलब है कि भारतीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमजोर हो जाता है, जिससे आयातित वस्त्रों और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। यह आमतौर पर व्यापार घाटे, आर्थिक असंतुलन या विदेशी निवेश की कमी के कारण होता है। रुपया जब अनमूल्य होता है, तो इससे आयात महंगा हो सकता है, लेकिन निर्यातकों को फायदा हो सकता है क्योंकि उनके उत्पाद विदेशी बाजारों में सस्ते हो जाते हैं।
किसी देश की शैक्षिक उपलब्धि को मापने के लिए कई सूचकांक होते हैं। इनमें से दो प्रमुख सूचकांक निम्नलिखित हैं:
ग्रामीण विकास (Rural Development) का अर्थ ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक सुधार से है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे, और रोजगार अवसरों में सुधार शामिल होता है, ताकि ग्रामीण जनसंख्या का जीवन स्तर बढ़े। ग्रामीण विकास का उद्देश्य गांवों में रहने वाली आबादी को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इसके तहत सड़कें, जल आपूर्ति, बिजली, और अन्य बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित की जाती हैं।
कृषि विपणन (Agricultural Marketing) कृषि उत्पादों की खरीद, बिक्री, भंडारण, और वितरण की प्रक्रिया को कहा जाता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि:
इसलिए, कृषि विपणन किसान, उपभोक्ता, और समग्र अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
जैविक कृषि के दो प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
श्रमिक जनसंख्या के अनुपात (Workforce Participation Ratio) किसी देश या क्षेत्र में कामकाजी व्यक्तियों की कुल जनसंख्या के अनुपात को दर्शाता है। यह अनुपात यह दिखाता है कि एक देश की कार्यशील जनसंख्या में कितने प्रतिशत लोग श्रम शक्ति में शामिल हैं। उच्च श्रमिक जनसंख्या अनुपात यह संकेत देता है कि अधिकांश लोग रोजगार में लगे हुए हैं, जबकि कम अनुपात यह दर्शाता है कि कार्यशील जनसंख्या में कम लोग ही काम कर रहे हैं।
पर्यावरण (Environment) से तात्पर्य हमारे चारों ओर के प्राकृतिक और सामाजिक घटकों से है, जो जीवन को प्रभावित करते हैं। इसमें वायुमंडल, जल, मृदा, वन, जीव-जंतु, पौधे, और मनुष्यों की गतिविधियाँ शामिल हैं। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, ताकि जीवन की सभी आवश्यकताएँ पूरी हो सकें। प्रदूषण, वनस्पति की कमी, और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं।
ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय धन का निष्कासन (Drain of Wealth) से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसमें ब्रिटिश शासन ने भारतीय संसाधनों और धन को अपने देश इंग्लैंड भेजा। यह निष्कासन मुख्यतः व्यापार, टैक्स, और अन्य नीतियों के माध्यम से हुआ, जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किया गया। भारत से निर्यात की गई वस्तुओं का मूल्य ब्रिटेन में बहुत कम था, जबकि भारत में इन वस्तुओं के लिए अधिक कीमत ली जाती थी। इसने भारतीय समाज को आर्थिक रूप से कमजोर किया और ब्रिटेन को समृद्ध किया।
भारत जैसे विकासशील देश को आत्मनिर्भरता की नीति अपनानी आवश्यक है क्योंकि यह देश को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करती है, रोजगार सृजन करती है, संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में मदद करती है और विदेशी मुद्रा की बचत करती है। इससे देश की आर्थिक स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित होती है।
सेवा क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए तकनीकी प्रगति, वैश्वीकरण, बढ़ती उपभोक्ता मांग, सरकारी नीतियाँ और मानव संसाधन के विकास जैसे प्रमुख कारक जिम्मेदार हैं।
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